
- January 1, 2025
- Pandit Madhav Shastri
- 0
त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे और दक्षिणा
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में बहुत सारे पूजाएं की जाती है | हम इन पूजाओं में होने वाले व्ययों/ खर्चों के बारें में चर्चा करेंगे | त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र राज्य में नासिक के समीप स्थित है | यह एक ज्योतिर्लिंग है |
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में विभिन्न प्रकार की पूजाएं होती हैं |
१. त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे काल सर्प दोष निवारण पूजा:-
यह पूजा कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों के लिए बहुत ही लाभप्रद है. इस पूजा को करने का सबसे शुभ समय अमावस्या है।इस पूजा में सर्वप्रथम गोदावरी नदी में , कुशावर्त कुंड में पवित्र स्नान करके आते हैं जो कि मन और आत्मा की शुद्धि करता है उसके पश्चात नए कपड़े पहन कर कुर्ता पजामा या धोती गमछा या महिलाएं साड़ी इत्यादि में पूजा करते हैं|
इसके पश्चात गणेश जी की पूजन किया जाता है। जो सभी बाधाओं को दूर करने के लिए क्या जाता है। गणेश पूजन के बाद वरुण पूजन के लिए कलश का पूजन किया जाता है। इस कलश से के द्वारा सभी प्रकार के देवी देवताओं पवित्र शक्तियों एवं जल का आह्वान किया जाता है और उन्हें आमंत्रित किया जाता है। तत्पश्चात भगवान त्र्यंबकेश्वर की पूजा की जाती है। इस पूजा में दुर्गा देवी के 16 रूपों को महत्वपूर्ण संस्कार ग्रुप में पूजा जाता है |
कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के हैं लेकिन पूजा सभी प्रकार के दोषों के लिए समान होती है।
यह 1 दिन की पूजा होती है इसमें लगभग 3 घंटे का समय लगता है मुहूर्त सुबह 6: 00 बजे से 9: 00 बजे तक होता है।
त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे काल सर्प दोष पूजा 1100 रुपए से 5100 रुपए तक |
2. त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे नारायण नागबली:-
यह नारायण बलि और नागबली दो अलग-अलग विधियां हैं | नारायण बलि का उद्देश्य मुख्यतः पित्र दोष का निवारण करना है जबकि नागबली का जो उद्देश्य है वह नाग (विशेषकर कोबरा, जो कि भारत में प्रायः पाया जाता है)हत्या के दोष का निवारण करना है |नारायण बली के लिए पुरुष जातक का होना आवश्यक है क्योंकि महिला जातक पिंड दान नहीं कर सकती।
भूत पिचास वाला, व्यापार में असफलता, पैसे की बर्बादी, पारिवारिक समस्याएं , शिक्षा में बाधा, दुर्घटनाओं में मृत्यु , अनावश्यक व्यय , इन विभिन्न समस्याओं से राहत पाने के लिए नारायण बली नागबली पूजा किया जाता है| इसमें गेहूं के आटे से बना कृत्रिम शरीर इस्तेमाल किया जाता है तथा मंत्रों का उपयोग कर ऐसी आत्माओं का आवाहन किया जाता है। इसमें पहले भक्तों को सा वर्ग में पवित्र स्नान करता है उसके पश्चात दस्तान 10 चीजों का दान देने का संकल्प करता है फिर मंदिर में पूजा करता है।
नारायण बली नागबली विशेष पूजा है जो कि एक विशेष दिन और समय पर 3 दिन का अनुष्ठान होता है।
त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे नारायण नागबली पूजा में लगभग 5000 से 7000 तक।
3. त्र्यंबकेश्वर पूजा दक्षिणा त्रिपिंडी श्राद्ध:-
पितृ ऋण शास्त्र के अनुसार पितृ पूजन एवं श्राद्ध जैसी विधि करने के पश्चात ही मनुष्य को पित्र ऋण से मुक्ति मिलती है। सामान्यतः सितंबर 16 से 15 नवंबर तक जब सूर्य कन्या या तुला राशि में होता है तब त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है। माना जाता है कि अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को “यमराज” भगवान सभी आत्माओं को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं ताकि वे अपने बच्चों द्वारा बनाए गए भोजन को ग्रहण कर सकें और श्राद्ध के अवसर पर खा सकें।
त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए सबसे सही समय माना गया है। इसमें ब्रह्मा विष्णु महेश की प्रतिमा तैयार करके उनकी प्राण प्रतिष्ठा कर पूजन किया जाता है जो, तिल, चावल, के आटे के 3 पिंड तैयार की जाते हैं| यदि 3 वर्षों तक लगातार दिवंगत को प्रसाद नहीं बनाया जाता है तो मृतकों को वशीकरण मिलता है इसलिए उन्हें शांत करने के लिए यह प्रसाद बनाए जाते हैं।
यह 1 दिन की पूजा होती है, पूजा में लगभग 5100 से 7000 तक का खर्चा होता है।
4. त्र्यंबकेश्वर पूजा दक्षिणा महामृत्युंजय जप:-
इसमें हम भगवान शिव के प्रिय मित्रों की पूजा करते हैं जो हमारे पालनहार हैं और हम उनसे प्रार्थना करते हैं इसलिए प्रभु हमें लिस्ट के कारवा से मुक्ति दिलाएं इस मंत्र का जाप करने से सकारात्मक शारीरिक मानसिक तथा भावनात्मक खिलाफ उत्पन्न होते हैं या प्राप्त किए जाते हैं यह मंत्र मोक्ष मंत्र के रूप में जाना जाता है यह अपने यह जनों की अकाल मृत्यु को रोकने में मदद करता है| यदि यह मंत्र इमानदारी जड़ विश्वास और भक्तों के साथ जब किया जाए तो यह एक जीवनदाई मंत्र साबित होता है|
इस मंत्र का जाप करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4: 00 बजे होता है।
त्र्यंबकेश्वर पूजा के खर्चे पूजा में लगभग 15000 से 22000 तक।