
- January 1, 2025
- Pandit Madhav Shastri
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पितृ दोष पूजा मुहूर्त 2025 – शुभ मुहूर्त और तिथि
प्रस्तावना: क्यों महत्वपूर्ण है सही मुहूर्त में पितृ दोष पूजा?
भारतीय ज्योतिष में, समय (मुहूर्त) का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। विशेषतः जब बात पितृ दोष निवारण पूजा की हो, तो शुभ मुहूर्त में पूजा करने से फल कई गुना बढ़ जाता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विधिपूर्वक पूजा, तर्पण, और श्राद्ध कर्म करना आवश्यक होता है। इस लेख में हम 2025 के लिए पितृ दोष पूजा के सर्वोत्तम मुहूर्त और तिथियों की विस्तृत जानकारी साझा करेंगे, ताकि आप सही समय पर पूजा कर अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि ला सकें।
पितृ दोष क्या है और इसका प्रभाव क्यों गंभीर होता है?
पितृ दोष का सीधा संबंध हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति से जुड़ा है। जब पितृ प्रसन्न नहीं होते या उनका तर्पण विधिपूर्वक नहीं किया जाता, तो कुंडली में पितृ दोष बनता है। इससे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में समस्या, आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याएँ। अतः इसका समय पर निवारण अत्यंत आवश्यक है।
पितृ दोष पूजा का सही समय क्यों चुनना चाहिए?
सही मुहूर्त में की गई पूजा अधिक फलदायक मानी जाती है क्योंकि:
यह नकारात्मक ऊर्जाओं को प्रभावी ढंग से समाप्त करती है।
पितरों को संतोष और तृप्ति प्रदान करती है।
जातक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
यदि गलत समय पर पूजा की जाए तो इसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। इसलिए शुभ मुहूर्त का पालन अनिवार्य है।
पितृ दोष पूजा के लिए आदर्श काल
1. पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष)
पितृ दोष निवारण के लिए सबसे उत्तम समय पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष माना जाता है। यह भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है।
2. अमावस्या के दिन
हर महीने की अमावस्या भी पितृ तर्पण और पितृ दोष निवारण पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
3. ग्रहण के समय
सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान विशेष तर्पण और पितृ पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।
पितृ पक्ष 2025 की तिथियाँ
आइए जानते हैं पितृ पक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियाँ और दिन:
तिथि | वार | श्राद्ध प्रकार |
---|---|---|
7 सितंबर 2025 | रविवार | पूर्णिमा श्राद्ध |
8 सितंबर 2025 | सोमवार | प्रतिपदा श्राद्ध |
9 सितंबर 2025 | मंगलवार | द्वितीया श्राद्ध |
10 सितंबर 2025 | बुधवार | तृतीया श्राद्ध |
11 सितंबर 2025 | गुरुवार | चतुर्थी श्राद्ध |
12 सितंबर 2025 | शुक्रवार | पंचमी श्राद्ध |
13 सितंबर 2025 | शनिवार | षष्ठी श्राद्ध |
14 सितंबर 2025 | रविवार | सप्तमी श्राद्ध |
15 सितंबर 2025 | सोमवार | अष्टमी श्राद्ध |
16 सितंबर 2025 | मंगलवार | नवमी श्राद्ध |
17 सितंबर 2025 | बुधवार | दशमी श्राद्ध |
18 सितंबर 2025 | गुरुवार | एकादशी श्राद्ध |
19 सितंबर 2025 | शुक्रवार | द्वादशी श्राद्ध |
20 सितंबर 2025 | शनिवार | त्रयोदशी श्राद्ध |
21 सितंबर 2025 | रविवार | चतुर्दशी श्राद्ध |
22 सितंबर 2025 | सोमवार | सर्वपितृ अमावस्या (महाश्राद्ध) |
नोट: यदि किसी पितर का देहांत विशेष तिथि को हुआ हो, तो उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए।
विशेष मुहूर्त: सर्वपितृ अमावस्या
22 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन समस्त पितरों का एक साथ तर्पण और श्राद्ध करना अत्यंत फलदायी होता है। अगर किसी को अपने पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं है तो वे इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं।
अन्य शुभ अवसर 2025 में पितृ पूजा के लिए
1. मौनी अमावस्या
29 जनवरी 2025 – गंगा स्नान और तर्पण करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
2. वैशाख अमावस्या
27 अप्रैल 2025 – वैशाख मास की अमावस्या पर भी पितृ तर्पण और पितृ दोष निवारण पूजा का विशेष महत्व है।
3. आषाढ़ अमावस्या
24 जून 2025 – इस दिन पितृ पूजा और तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. पितृ दोष पूजा कब करनी चाहिए?
पितृ पक्ष के दौरान या किसी अमावस्या के दिन, विशेष रूप से सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष पूजा करना अत्यंत शुभ होता है।
2. क्या पितृ दोष पूजा के लिए किसी विशेष स्थान पर जाना जरूरी है?
त्र्यंबकेश्वर (नाशिक), गया (बिहार), उज्जैन जैसे तीर्थ स्थलों पर पितृ दोष पूजा करना अधिक प्रभावी माना जाता है, लेकिन घर पर भी योग्य ब्राह्मण के माध्यम से विधिपूर्वक पूजा कराई जा सकती है।
3. क्या सभी जातकों को पितृ पक्ष में श्राद्ध करना चाहिए?
हाँ, प्रत्येक व्यक्ति को अपने पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए, विशेषतः यदि कुंडली में पितृ दोष के संकेत हों।
4. क्या ग्रहण के समय पितृ तर्पण करना उचित है?
हाँ, सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय पितृ तर्पण और पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
5. क्या बिना मुहूर्त देखे पितृ दोष पूजा करने से परिणाम मिलते हैं?
नहीं, शुभ मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। सही समय पर पूजा करने से अधिक सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
पितृ दोष पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
काले तिल
कुशा घास
जल पात्र
पिंड (चावल या आटे के बने)
पुष्प, धूप, दीपक
पंचामृत
ब्राह्मण भोजन के लिए सामग्री
पितृ दोष पूजा की संक्षिप्त विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
दक्षिण दिशा की ओर मुख कर तर्पण करें।
पंचामृत से पिंडों का अभिषेक करें।
पितृ सूक्त का पाठ करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
स्वयं भी शांत चित्त से आशीर्वाद ग्रहण करें।
निष्कर्ष: सही समय पर सही श्रद्धा से करें पितृ पूजा
2025 में पितृ दोष पूजा के लिए शुभ तिथियाँ और मुहूर्त अब आपके सामने हैं। यदि आप समय पर, श्रद्धा पूर्वक, और विधिपूर्वक पितृ दोष निवारण पूजा करते हैं, तो न केवल अपने पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं बल्कि अपने जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और सफलताओं को आमंत्रित कर सकते हैं। समय को व्यर्थ न जाने दें — आज ही योजना बनाएं और अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।