
- January 1, 2025
- Pandit Madhav Shastri
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सावन कब से शुरू होगा? तिथि, अंत और महत्व जानें
भूमिका: क्यों होता है सावन माह इतना पवित्र?
सावन, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह सम्पूर्ण महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान लाखों श्रद्धालु उपवास, पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं।
लेकिन प्रश्न यह है कि सावन आखिर कब शुरू होता है? इसका अंत कब होता है? और इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है? इस विस्तृत ब्लॉग में हम इन्हीं सभी प्रश्नों का उत्तर देंगे।
सावन 2025 में कब से कब तक रहेगा?
सावन माह 2025 में मंगलवार, 8 जुलाई से शुरू होकर गुरुवार, 7 अगस्त को समाप्त होगा।
यह तिथियाँ पूर्णिमांत पंचांग पर आधारित हैं, जिसे उत्तर भारत में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। अमावस्यांत पंचांग, जो दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में प्रचलित है, उसमें तिथियाँ थोड़ी भिन्न हो सकती हैं।
मुख्य सावन तिथियाँ 2025:
सावन का पहला दिन: मंगलवार, 8 जुलाई 2025
सावन का अंतिम दिन: गुरुवार, 7 अगस्त 2025
सावन सोमवार (व्रत के दिन): 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त
श्रावण शिवरात्रि: बुधवार, 30 जुलाई 2025
सावन का महत्व क्या है?
सावन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं इसके विभिन्न पहलुओं को:
1. पौराणिक महत्व
समुद्र मंथन कथा: पुराणों के अनुसार, सावन के महीने में समुद्र मंथन हुआ था। इसी दौरान हलाहल विष निकला जिसे भगवान शिव ने पी लिया। इस कारण सावन माह में शिव जी की विशेष पूजा की जाती है।
पार्वती तप कथा: माता पार्वती ने सावन में कठोर तपस्या की थी जिससे उन्हें शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने का वरदान मिला।
2. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्व
सावन को आत्मशुद्धि और तपस्या का समय माना जाता है। यह काल हमें संयम, भक्ति और साधना का अवसर देता है।
3. ऋतु परिवर्तन और वैज्ञानिक पहलू
यह महीना वर्षा ऋतु का होता है, जब प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। यह शरीर के लिए डिटॉक्स का समय भी होता है, इसीलिए उपवास को स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक माना गया है।
सावन में कौन-कौन से व्रत और पूजा की जाती है?
सावन में अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। विशेषकर भगवान शिव की पूजा और उपवास इस महीने का मुख्य भाग होते हैं।
1. सावन सोमवार व्रत
सावन के हर सोमवार को उपवास रखना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और बेलपत्र, धतूरा, दूध, शहद आदि अर्पित करते हैं।
व्रत के नियम:
प्रातः स्नान कर शिव मंदिर जाना
शिवलिंग पर जल व पंचामृत चढ़ाना
“ॐ नमः शिवाय” का जप करना
दिनभर फलाहार या निर्जला व्रत रखना
2. कांवड़ यात्रा
उत्तर भारत में यह विशेष परंपरा है। भक्तजन गंगा से जल लाकर शिव मंदिरों में अर्पित करते हैं। यह जल यात्रा “कांवड़ यात्रा” कहलाती है, जो हरिद्वार, गंगोत्री, वाराणसी आदि तीर्थों से शुरू होती है।
3. श्रावण शिवरात्रि
सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन रात्रि जागरण और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है।
सावन व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
सावन के व्रत में शुद्ध और सात्विक आहार का पालन आवश्यक होता है। कुछ प्रमुख निर्देश:
व्रत में खाए जाने वाले आहार:
फल (केला, सेव, पपीता आदि)
दूध, दही, पनीर
साबूदाना, सिंघाड़े का आटा
समा के चावल
सेंधा नमक का प्रयोग
वर्जित आहार:
प्याज और लहसुन
गेहूं और सामान्य चावल
मांसाहारी भोजन
शराब और धूम्रपान
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. क्या अविवाहित लड़कियाँ सावन व्रत रख सकती हैं?
हाँ, वे विशेष रूप से व्रत रखती हैं ताकि उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिले और गृहस्थ जीवन सुखमय हो।
2. क्या हर सोमवार को व्रत रखना जरूरी है?
सभी सोमवार को व्रत रखना श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन आप श्रद्धा अनुसार कम व्रत भी रख सकते हैं।
3. क्या गर्भवती महिलाएँ सावन व्रत रख सकती हैं?
स्वास्थ्य की दृष्टि से डॉक्टर की सलाह लेकर ही व्रत रखें। फलाहार और पर्याप्त जल सेवन जरूरी है।
4. बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
बेलपत्र त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक माना जाता है और यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
5. सावन व्रत से क्या लाभ होता है?
शारीरिक रूप से यह शरीर को डिटॉक्स करता है और मानसिक रूप से शांति और ध्यान की स्थिति लाता है। शिव जी की कृपा से जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति होती है।
भारत के विभिन्न राज्यों में सावन कैसे मनाया जाता है?
उत्तर भारत:
हरिद्वार, काशी जैसे तीर्थस्थलों में कांवड़ यात्रा होती है और लाखों भक्त जल अर्पण करते हैं।
महाराष्ट्र व गुजरात:
यहाँ सोमवार व्रत का विशेष प्रचलन है और शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है।
दक्षिण भारत:
यहाँ इस माह को ‘आदि मास’ कहा जाता है और शक्ति की उपासना की जाती है। मंदिरों में विशेष पूजा होती है।
नेपाल:
पशुपतिनाथ मंदिर में सावन के दौरान लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुँचते हैं।
सावन के लिए कैसे करें तैयारी?
मन की शुद्धि: ध्यान और साधना से मन को एकाग्र करें।
घर की सफाई: पवित्र वातावरण तैयार करें।
पूजा सामग्री एकत्र करें: बेलपत्र, धतूरा, दूध, पंचामृत, रुद्राक्ष, मंत्र पुस्तिका आदि।
मंदिर दर्शन का कार्यक्रम बनाएं: विशेषकर सोमवार और शिवरात्रि के दिन।
सावन में आत्मिक ऊर्जा कैसे जाग्रत होती है?
यह माह आत्मचिंतन और साधना का समय है। शिव तत्त्व का ध्यान करने से व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा जाग्रत होती है।
आत्मिक प्रश्न जो सावन में पूछ सकते हैं:
क्या मैं अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चल रहा हूँ?
क्या मैं शिव तत्त्व से जुड़ रहा हूँ?
मेरी भक्ति में कितना समर्पण है?
निष्कर्ष: सावन 2025 का अधिकतम लाभ कैसे लें?
सावन सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, यह आत्मा के शुद्धिकरण का समय है। शिव की भक्ति से यह महीना हमें तप, त्याग, और तृप्ति की ओर ले जाता है।
आप सोमवार व्रत करें, शिव मंदिर जाएँ, ध्यान करें और इस समय को आत्मसाक्षात्कार के लिए उपयोग करें। सावन 2025 आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए।