
- January 1, 2025
- Pandit Madhav Shastri
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सावन : शिवजी की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ पूजा विधि
प्रस्तावना: क्यों है सावन शिव भक्ति का महीना?
हिंदू पंचांग में सावन मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। इस मास में भक्तगण विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन में की गई पूजा, व्रत और जप भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय होते हैं और इससे शीघ्र ही कृपा प्राप्त होती है। यह मास प्राकृतिक दृष्टि से भी हरियाली, जल और जीवन का प्रतीक है, जो शिवजी के रौद्र व शांत स्वरूप को भी दर्शाता है।
सावन में शिवजी की पूजा का महत्व
क्यों माने जाते हैं सावन में शिवजी विशेष रूप से कृपालु?
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था। इस कारण से उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा गया। यही घटना सावन मास में घटित हुई थी, इसलिए इस मास में शिवजी को जल अर्पित कर विष के प्रभाव को शांत करने की परंपरा शुरू हुई। भक्तजन इस मास में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, शहद आदि अर्पित करते हैं जिससे शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
सावन पूजा विधि: शिवजी को प्रसन्न करने का संपूर्ण मार्ग
1. प्रातःकाल की तैयारी:
प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अपने घर के मंदिर या निकटस्थ शिव मंदिर में जाकर पूजा की तैयारी करें।
2. शिवलिंग का अभिषेक:
सबसे पहले गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
उसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का पंचामृत बनाकर अभिषेक करें।
अंत में पुनः जल से शिवलिंग को स्नान कराएं।
3. पूजा सामग्री:
बेलपत्र (त्रिपत्री), धतूरा, भस्म, शमीपत्र, आक, गंगाजल, सफेद चंदन, अक्षत, फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य आदि।
4. मंत्र जाप:
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी अत्यंत फलदायक होता है।
5. आरती एवं प्रसाद:
पूजा के पश्चात शिवजी की आरती करें और घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व
क्यों करें सावन के सोमवार का व्रत?
सावन के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं इस व्रत को उत्तम वर प्राप्ति के लिए करती हैं। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-शांति के लिए यह व्रत करती हैं।
व्रत विधि:
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।
शिवजी का पूजन कर व्रत का संकल्प लें।
दिनभर फलाहार करें और केवल शिवजी के मंत्रों का जप करें।
संध्या के समय दुबारा पूजन कर शिवजी की आरती करें।
अगले दिन व्रत का पारण करें।
सावन में क्या करें और क्या नहीं?
क्या करें:
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
बेलपत्र, धतूरा, शमीपत्र आदि चढ़ाएं।
सात्विक आहार ग्रहण करें।
अधिक से अधिक “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
क्या न करें:
मांस-मदिरा से दूर रहें।
कांसे या पीतल के बर्तन से जल न चढ़ाएं।
तुलसी या केतकी के पत्ते शिवजी को न चढ़ाएं।
द्वेष, क्रोध और कटु वाणी का त्याग करें।
Frequently Asked Questions (FAQs)
सावन कब शुरू होता है?
सावन मास श्रावण नक्षत्र में प्रारंभ होता है। 2025 में सावन की शुरुआत 10 जुलाई से और समापन 8 अगस्त को होगा।
क्या महिलाएं सावन में शिवलिंग को छू सकती हैं?
परंपराओं के अनुसार, स्त्रियाँ शिवलिंग को छुए बिना जल अर्पित कर सकती हैं। हालांकि कुछ स्थानों पर छूने की अनुमति होती है। यह आस्था और परंपरा पर निर्भर करता है।
सावन में कौन से मंत्र विशेष प्रभावी होते हैं?
“ॐ नमः शिवाय”
महामृत्युंजय मंत्र
शिव चालीसा और शिवाष्टक का पाठ भी लाभकारी है।
क्या केवल सोमवार को ही शिवजी की पूजा करनी चाहिए?
नहीं, सावन मास में प्रतिदिन शिवजी की पूजा करें। सोमवार का विशेष महत्व है लेकिन अन्य दिन भी फलदायी हैं।
क्या सावन में व्रत केवल महिलाएं रख सकती हैं?
नहीं, पुरुष और महिलाएं दोनों ही सावन व्रत रख सकते हैं। यह आस्था और श्रद्धा का विषय है।
निष्कर्ष: सावन का मास—एक आध्यात्मिक साधना का अवसर
सावन शिव भक्ति, आत्मशुद्धि और संकल्प का मास है। इस मास में की गई पूजा, उपवास और दान-पुण्य का फल सौगुना बढ़कर प्राप्त होता है। यदि श्रद्धा और विधि अनुसार शिवजी की आराधना की जाए, तो जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति पाकर भक्त उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है।
इसलिए, सावन मास को व्यर्थ न जाने दें। अपने जीवन में शिव तत्व को आत्मसात करें और आंतरिक शांति, संतुलन और शक्ति का अनुभव करें।